तारा सहेली से उद्यमी बनने की कहानी

 

प्रभा प्रताप उत्तर प्रदेश के झाँसी जिले के भोजला गाँव की रहने वाली हैं। वह एक निर्धन परिवार से थीं। इन्होंने कक्षा 10 तक पढ़ाई करने के बाद सिलाई का प्रशिक्षण लिया था। इनकी शादी ग्राम भोजला के निवासी विजय प्रताप से हुई जो कि मजदूरी करते थे। इनके दो बच्चे हैं। इनके पति की मासिक आमदनी बहुत ही कम थी जिस कारण घर के तथा बच्चों की पढाई लिखाई के खर्चों की पूर्ति बहुत मुश्किल से हो पाती थी।

प्रभा प्रताप सोचतीं थी कि अगर वह भी कुछ काम करेंगी तो घर चलाने में अपने पति का साथ दे सकेंगी। प्रभा ने अपने परिवार की कुछ महिलाओं को तारा अक्षऱ केन्द्र में पढ़ने जाते हुए देखा तो उन्होंने केंद्र में जाकर प्रशिक्षक और सुपरवाइजर से मुलाकात की। वहां इन्हें पता चला कि तारा अक्षर कार्यक्रम में ज्ञान चैपाली के लिए तारा सहेली का चयन किया जाएगा तो इन्होंने भी तारा सहेली के पद पर आवेदन करके साक्षात्कार दिया। तत्पश्चात इनका चयन तारा सहेली भोजला के पद पर हो गया। इस कार्य को लेने से पहले इन्होंने ताराग्राम ओरछा में तीन दिवसीय का प्रशिक्षण लिया और अगस्त 2017 से तारा सहेली के पद पर कार्य करने लगीं। ज्ञान चैपाली में तारा सहेली का कार्य अपनी मेहनत और लगन से करके इन्होंने गाँव में महिलाओं के बीच एक खास पहचान बनायी। अब महिलायें इनसे अपने व्यक्तिगत मामलों में भी सलाह लेने लगीं थीं। इस प्रशिक्षण में तारा अक्षर से साक्षर हो कर निकल रही महिलाओं के लिए जो भी सिखाया जाता है (कि वह किस तरह सफल उद्यमी बन सकती हैं, किस तरह सरकारी व अन्य योजनाओं का लाभ उठा सकती है, किस तरह समूहबद्ध होकर अपनी ताकत का बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं) वह सब प्रभा ने समझा, सीखा और अपने स्वयं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए उस जानकारी का उपयोग किया।

एक दिन इन्हें ज्ञान चैपाली में सुपरवाइजर द्वारा पता चला कि तारा ग्राम ओरछा में एक प्रतियोगिता “कौन बनेगा बिजनेस लीडर” का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें अपना बिजनेस आइडिया देना है। इनकी उत्सुकता को देखते हुए सुपरवाइजर ने इन्हें तारा ग्राम ओरछा की उद्यम विकास टीम से मिलवाया। तदुपरांत इन्होंने “कौन बनेगा बिजनेस लीडर” प्रतियोगिता में भाग लिया और अपना बिजनेस आइडिया दिया जो इस प्रकार था कि इनका गाँव एक बड़ी आबादी वाला गाँव है जिसमे महिलाओं के कपड़े सिलाई के लिए तथा सिलाई प्रशिक्षण के लिए किसी भी प्रकार की दुकान या प्रशिक्षण केंन्द्र नहीं है, अगर इनके गाँव में इस प्रकार का काम किया जाए तो महिलाओं को सुविधा होने के साथ ही स्वरोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।

प्रभा प्रताप का इस बिजनेस आइडिया प्रतियोगिता में चयनित किया गया और ये “कौन बनेगा बिजनेस लीडर” प्रतियोगिता की विजेता बनीं। इन्हें डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स की उद्यम विकास टीम के द्वारा दो मशीनें (एक सिलाई मशीन व एक पीको की मशीन) अपने उद्यम को शुरू करने के लिए दी गयीं। इस दौरान गाँव में अब पढ़ने के लिए निरक्षर महिलाओं के ना होने के कारण ज्ञान चैपाली का समापन हो गया। प्रभा ने तारा सहेली के पद पर अक्टूबर 2018 तक सफलता पूर्वक कार्य किया। प्रभा पहले से ही सिलाई करना जानती थीं। इन्होंने गाँव भोजला के मुख्य मार्ग पर महिलाओं के कपड़े सिलने व सिलाई प्रशिक्षण देने हेतु वैष्णवी सिलाई सेन्टर की स्थापना की। आज प्रभा दूसरी महिलाओं को भी सिलाई का प्रशिक्षण देने के साथ ही कपड़े सिलाई करके महीने में 7000 रूपये की आमदनी कमा लेती हैं।

भविष्य के लिए प्रभा के बड़े सपने हैं वह अपने सिलाई सेन्टर का विस्तार करना चाहती हैं जिससे वह और महिलाओं को रोजगार दे सकें। प्रभा ने अपने सिलाई सेन्टर में महिलाओं के श्रृंगार की सामग्री (क्रीम, पाउडर, साबुन और चूडियाँ आदि) भी बेचने के लिए रखीं हैं। उनका कहना है कि इस तरह महिलायें उनके सेन्टर पर अधिक आयेंगीं जिससे उनके ग्राहक बढ़ेंगे। आज प्रभा प्रताप अपने प्रयासों और डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स के सहयोग से एक सफल उद्यमी बन गयी हैं।  

Aquil Ahmad
aahmad@devalt.org

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