साक्षरता से सशक्तिकरण
श्रीमती रूपा देवी मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिला, ब्लॉक निवाड़ी के बसंतपुरा गाँव की रहने वाली हैं। इनकी उम्र 30 वर्ष है। रूपा देवी के पति का नाम कृपाराम है, वो मजदूरी करते हैं। रूपा देवी के दो लड़के हैं, एक लड़का पढ़ने जाता है और दूसरे लड़के की दिमागी हालत ठीक नहीं है। श्रीमति रूपा देवी बचपन में विद्यालय नहीं जा सकी थीं। इनके परिवार में इनकी 4 बहन और 3 भाई थे। परिवार बड़ा होने के कारण तथा रूपा के सभी भाई बहनों मे सबसे बड़ा होने के कारण उसे घर का सारा काम काज स्वयं ही करना पड़ता था। इनके माता पिता मजदूरी करते थे। रूपा की 15 वर्ष की छोटी आयु में शादी हो गयी थी। शादी के बाद इन्होंने अपने पति का कृषि कार्य में सहयोग किया। रूपा देवी को अनपढ़ होने के कारण बहुत अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। रूपा अपने जीवन को बदलना चाहती थीं। वो चाहती थीं कि वो भी पढ़ लिखकर आत्मनिर्भर बनें। वर्ष 2014 से 2019 तक के लिए ग्राम पंचायत के चुनाव में गाँव वालों की मदद से ये ग्राम पंचायत सदस्य चुनी गयीं। अनपढ़ होने के कारण ये कोई प्रार्थना पत्र या शिकायती पत्र भी नहीं लिख पाती थीं, जिससे इन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता था। जब तारा अक्षर के प्रशिक्षक और सुपरवाइजर बसंतपुरा गाँव में सामुदायिक जागरूकता करने के लिए आये तो गाँव के प्रधान ने रूपा देवी के बारे में जानकारी दी। प्रशिक्षक जसवंत सिंह, रूपा देवी के घर पर गये तथा रूपा देवी और उनके परिवार वालों को तारा अक्षर कार्यकम की जानकारी दी। रूपा देवी और उनके परिवार वालों ने गाँव में प्रशिक्षक और सुपरवाईजर की बहुत सहायता की और गाँव में एक बड़ी बैठक का आयोजन भी कराया। प्रशिक्षक जसवंत सिंह ने सभी महिलाओं को तारा अक्षर कार्यक्रम की जानकारी दी और "सीतो की कहानी" तथा "शिक्षा का सूरज" कहानी दिखाकर शिक्षा के महत्व को समझाया। शिक्षा का महत्व जानकर बसंतपुरा गाँव में रूपा देवी के साथ 9 और महिलायें भी तारा अक्षर के एक बैच में प्रशिक्षक के द्वारा लैपटॉप की सहायता से लगन के साथ रुचि पूर्वक पढ़ने लगीं। श्रीमती रूपा देवी ने तारा अक्षर कार्यक्रम में सबसे पहले कहानियों के द्वारा अक्षर और मात्राओं को सीखा, अक्षर और मात्राओं से शब्द बनाना सीखा और शब्दों से वाक्य बनाने के बाद किताब से पढ़ना तथा अभ्यास के द्वारा लिखना भी सीख लिया। तारा गणित में कहानियों से अंक और उनका मान, इकाई, दहाई, सैकड़ा और इसी प्रकार अंको का स्थानीयमान के बारे में सीखा। इसके बाद अंकों और संख्या का जोड़, घटाव, गुणा और भाग को भी सीखा। साक्षर होने के बाद ये सितम्बर 2017 से ज्ञान चौपाली में हिंदी पढ़ाई, लिखाई तथा गणित का अभ्यास करने के साथ-साथ दैनिक जीवन में काम आने वाले विभिन्न विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त कर रही हैं। अब रूपा सभी प्रकार के फार्म को अपने आप भर सकती हैं। रूपा कहती हैं कि "तारा अक्षर ने हमारे जीवन को ही बदल दिया है। पहले मैं अपने हाथों से अपना नाम तक नहीं लिख पाती थीं, आज मैं अपना और अपने परिवार के सभी सदस्यों के नाम के साथ कुछ भी पढ़ और लिख सकती हूँ।" कुछ दिन पहले की बात है यह ज्ञान चौपाली में पढ़ रही थीं कि इनके पड़ोस में एक हैण्डपम्प खराब हो गया था। कई बार प्रधान और ब्लॉक कार्यालय में अधिकारियों को मौखिक सूचना देने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। जब काफी दिनों तक हैण्डपम्प ठीक नहीं हुआ तो लोगों को पानी की बहुत परेशानी होने लगी। इसके बाद रूपा ने अपने हाथों से एक प्रार्थना पत्र लिखा जिसमे गाँव के खराब हैण्डपम्प को ठीक कराने का निवेदन किया गया। इस प्रार्थना पत्र की एक प्रति ग्राम प्रधान और एक खण्ड विकास अधिकारी, निवाड़ी को दी। लिखित प्रार्थना पत्र देने का परिणाम ये हुआ कि तुरन्त मिस्त्री ने गाँव में आकर हैण्डपम्प को सुधार दिया। इससे इनका आत्मविश्वास बहुत बढ़ गया। अब रूपा देवी बिना किसी संकोच के कुशलता पूर्वक अपने वार्ड के काम करती हैं और गाँव की दूसरी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन गयी हैं। "साक्षर होने के बाद मैं अब आत्मनिर्भर बन गयी हूँ। अब मैं अपने वार्ड में होने वाली समस्याओं को हल कर सकती हूँ। मेरा मनोबल बढ़ गया है। तारा अक्षर कार्यक्रम ने हम ग्रामीण महिलाओं की जिन्दगी को बदल दिया है। एक साक्षर और सफल महिला के रूप में मेरी नई पहचान बनी है। मेरा परिवार और गाँव मुझ पर गर्व महसूस कर रहा है। मेरे जीवन में बदलाव लाने का श्रेय तारा अक्षर कार्यक्रम को जाता है।" ■
Aquil Ahmad
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